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Thursday, August 13, 2020

1.1 An Astrologer's Day. Translation.

1.1 *An Astrologer's Day* Translation.

.        एक दिन ज्योतिषी का .                                                           .                  -----------                                        यह एक ज्योतिषी की कहानी है, जो अपने पहनावे और चालाकी के बलबूते पर लोगों क़ो मोहित करता था और अपनीं मेहनत से शाम क़ो अपनी लाइकी अनुसार थोड़ी-बहूत कमाई घर ले जाता था !          उसनें हमेशा की तरह भरी दोपहरी में अपना झोला खोला और अपनीं व्यापारिक सामग्री क़ो फैला दिया ! जिसमें 1 दर्जन कौड़ियाँ, ऐक चौकोर कपड़े का टुकड़ा जिस पर रहस्यात्मक नक्शे बने थे , ऐक कॉपी और कुछ पन्नों पर लिखे अक्षरों का बण्डल था ! उसका माथा भस्म और कुमकुम से चमक रहा था ! और उसकी आँखोँ की चमक की वजह थीं उसकी लगातार अपने ग्राहकों की तलाश किन्तु भोले-भाले लोग ऊसे दिव्य प्रकाश समझते और संतुष्ट हो जाते ! उसकी आँखों की तेज़ बढने का कारण था उसका रँगा हुआ माथा और लम्बी बढ़ी हुई दाढ़ी ! किसी मन्द-बुद्धि की आँखें भी ऐसे स्थापना से चमक सकती थीं ! उसको और असरदार बनाने के लिये उसने भगवे रँग की पगड़ी सिर पर लपेट रखी थी ! और यह रँग योजना से ऊसे कभी नाकामयाबी नहीं मिलीं ! लोग उससे ऐसे आकर्षित होते जैसे विभिन्न फ़ूलों पर जैसे दहालिया और कॉसमॉस पर  मक्खियाँ भिन्-भिनाती हैं ! वो ऐक इमली के पेड़ की छाँव में बैठा था ! जिसने वो रास्ता रूका हुआ था  जो टाऊन-हॉल (Town Hall) पार्क से गुजरता था ! वो कई वजहों से ऐक असाधारण जगह थी ! ऐक निरन्तर बढ़ती गर्दी हमेशा उस तंग रास्ते पर दिन-रात ऊपर-नीचे घूमती रहती !                                                  विभिन्न प्रकार के व्यवसाय और कारोबार उस रास्ते पर प्रतिनिधित्व करते ! जिसमें दवाइयाँ बेचने वाले, चोरी की लोह-वस्तु सामग्री, जादूगर और सस्ते कपड़ों की नीलामी करने वाला जो ईतना शोर-गुल करता क़ि पूरा उपनगर आकर्षित हो जाता !                                                                  ऊसीके बीच में आता था ऐक मूँगफली बेचने वाले का शोर जो हर रोज़ अपनी सामग्री क़ो ऐक नया नाम देता, l जैसे वो कभी ऊसे बॉम्बे-ऑइसक्रीम कहता, ऐक दिन ऊसे दिल्ली का बादाम कहकर पुकारता और अगले दिन ऊसे शाही-लज्जत और ऐसे कई नाम ! और लोग जमा हो जाते ! और ईसी तरह कॉफ़ी सँख्या में लोग ईस ज्योतिषी के पास भी घेरा डालते ! यह ज्योतिषी उस मूँगफली के ढिगार से निकली ज्वाला (जो फड़कती और धुँए छोड़ती) उसकी रौशनी में  अपना धँधा ख़ूब जमा लेता !                                                 उस चमत्कारिक जगह की कुछ वजह तो इस सत्य पर आधारित थी क़ि म्युनिसिपैलिटी की बिजली नहीं थीं, सारी रौशनी तो दुकानों से आतीं थीं ! कुछ एक-दो तो आवाज़ करनें वाली गैस-लाइट्स से, कुछ मशालों से और कुछ जलती थी सायकिल के पिछले पहिये से चलने वाली हेड-लाईट से !  वो एक तरह की जो आड़ी-तिरछी भ्रामक कर देनें वाली किरणें और चलतीं फ़िरती परछाईयों से आतीं थीं !                                                             यह सब उसके लिये अनुकूल था, जिसकी ऐक सीधी वजह थी क़ि जब उसने अपने ज़ीवन की शुरूआत की थी तब उसने किंचित भी ज्योतिषी बनने की नहीं ठानी थी और ऊसे ईतना भी ज्ञात नहीं था क़ि अगले क्षण दूसरों की ज़िन्दगी में क्या होंनें वाला है ? जैसे क़ि अपने स्वयँ के बारे में पता नहीं था !                                                               ग्रह-नक्षत्रों से वह उतना ही अपरिचित था जितने क़ि उसके मासूम ग्राहक ! परन्तु, वह जो भी कहता उससे सब प्रसन्न और अचम्भित रह जाते ! जिसकी वजह थी उसका अभ्यास, चलन और चालाकी से किया हुआ अनुमान ! पर ऐसा कह सकते हैं क़ि उसका कार्य किसी भी ईमानदारी से किया हुआ कार्य कष्ट से कम नहीं था जितनी क़ि उसकी लायकी थी, उतना मेहनताना जो वो रोज दिन के अन्तिम समय में अपने घऱ ले जाता !                                      ऐक दिन उसके पास शाम के समय जब बत्तियाँ बुझने वालीं थीं, एक आदमी आया और उसने ज़बरन ऊसे अपना भविष्य बताने को कहा ! तो उसने ऊसे 6 आनें माँगे, तब उस व्यक्ति नें कहा यदि झूठ निकला तो उसे साढ़े 12 आनें यानी 75 पैसे लौटाने होंगें ! उस पर उस ज्योतिषी नें कहा तो क्या यदि उसकी बात सह़ी निकली तो क्या वो उसे 1.00 रूपया देगा ?  यदि हाँ तो ठीक वरना मैं अपना मुँह नहीँ खोलूँगा ! उस पर वो व्यक्ति कुछ मोल-तौल के बाद राजी हो गया ! जोतीषी ने कहना आरम्भ किया ...तुझे कोई मारना चाहता था ! इस पर उसकी आशा जागी ! ज्योतिषी नें बताया क़ि वो तुम्हें लगभग मार ही चुका था ! इस पर उस व्यक्ति नें उसे अपनीं छाती पर चाकू के निशान दिखाए ! तुम्हें उसने कुएँ में ढकेल दिया था और मरने के लिये छोड़ दिया !  वह व्यक्ति भौंचक्का रह गया और पूछा क्या वो आदमी मुझे मिल सकेगा ?  ज्योतिषी नें कहा, अगले जनम में, क्यों की वो चार महीने पहले मर चुका है ! तो क्या मैं (रुआंसा होकर बोला) उससे बदला नहीं ले पाऊँगा ? गुरू नायक ज्योतिषी नें कहा
अपना नाम सुनते ही वो चकित रह गया।क्या तुम मेरा नाम जानते हो
तुम उससे कभी भी नहीं मिल पाओगे!
 वो बहुत ख़तरनाक मौत मर चुका है !   वो एक गाड़ी के नीचे कुचला गया था ! थोड़ी सन्तुष्टि के साथ वो उठने लगा तो ज्योतिषी ने कहा अब तुम सीधे घर जाना वरना फ़िर मारे जाओगे ! तुम्हारे गाँव का यहाँ से दो दिन का सफ़र है । अगली गाड़ी पकड़ो ओर निकल लो । मैं देख रहा हूँ फ़िर तुम पर खतरा मँडरा रहा है, यदि फ़िर  तुमने घर छोड़ा तो मारे जा ओगे।                                                                 ये भस्म रगड़ लो माथे पर और याद रहे पश्चिम की ओर मत आना! और तुम 100 साल जियोगे !                                                  मैं घऱ क्यूँ छोड़ूँगा भला ?  वो तो मैं बस बार-बार उसको मारने के लिये उसकी तलाश में निकलता था ! और बड़े पछतावे के साथ सिर हिलाते हुऐ कहने लगा "वो छूट गया मेरे हाथ से" ! मुझे आशा है की वो अपनीं मौत मर गया होगा ! जिसके वो लायक था ! हाँ वो एक लॉरी के नीचे कुचला गया !
  यह सुनकर वह व्यक्ति सन्तुष्ट प्रतीत हुआ !                                                        घऱ पहुँच कर उसका इन्तज़ार कर रही उसकी पत्नी नें उससे देरी से आने का कारण पूछा ! उसने सिक्के उसकी ओर उछालते हुऐ गिनने को कहा ! उस व्यक्ति नें दिये हैं साढ़े 12 आने ! वह बोला उस सुअर नें मुझे धोखा दिया । उसने 1.00 रूपये का वादा किया था !  पत्नी नें कहा तुम बहुत चिन्तित लग रहे हो ? "कुछ नहीं".                                                            रात्रि में भोजन के उपरान्त अपनीं चारपाई (खटिया) पर बैठते हुऐ कहा : " तुम्हें पता है आज़ मेरे सर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया है ! मुझे लगा मेरे हाथ उसके ख़ून से सने है ! इसी वजह से तो मैं घऱ से भागा था ! यहाँ स्थित हो गया और तुमसे शादी की ! वो जिन्दा है ! उसने हाँफते हुए पूछा: तुमने उसे मारने की कोशिश की ? हाँ , हमारे गाँव में, जब मैं मूर्ख अल्हड़ जवाँन था ! एक दिन हमने पी और जूँआ खेलते खेलते लड़ पड़े  पर अब क्यों सोचें ? सोने का समय है, उबासी भरते हुए, बदन को तान कर, वो खटिया पर लम्बा सो गया !

12 आने ! (अर्थात 1 आना = 6 पैसे और 12 आने =12x6=  72 पैसे और आधा आना अर्थात 6 पैसे का आधा 3 पैसे  = कुल  0.75 पैसे )

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